लेह/नई दिल्ली, सितम्बर 2025 – लद्दाख में शुक्रवार को भड़की हिंसा के बाद चर्चित पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह हिंसा उस समय हुई जब हजारों लोग लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे थे।
प्रदर्शन हुआ हिंसक
पुलिस सूत्रों के अनुसार, लेह में शांतिपूर्ण प्रदर्शन अचानक उग्र हो गया। सुरक्षाबलों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पथराव और झड़प में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए। घायलों को लेह और कारगिल के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जिनमें कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।
सोनम वांगचुक की भूमिका
प्रसिद्ध शिक्षाविद और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक लंबे समय से लद्दाख को विशेष संवैधानिक दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलन चला रहे थे। उनका कहना है कि लद्दाख की विशिष्ट संस्कृति, पारिस्थितिकी और प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिए संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना बेहद ज़रूरी है। वांगचुक का यह भी तर्क रहा है कि अगर लद्दाख को पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिली तो यहां की नाजुक पर्यावरणीय व्यवस्था और जनजातीय पहचान खतरे में पड़ सकती है।
पुलिस ने उन्हें हिंसा फैलाने और भीड़ को भड़काने के आरोप में हिरासत में लिया है। हालांकि, उनके समर्थकों का कहना है कि वांगचुक हमेशा अहिंसक आंदोलन के पक्षधर रहे हैं और हिंसा की जिम्मेदारी प्रशासन की लापरवाही पर है।
प्रशासन की सख्ती
स्थिति को काबू में रखने के लिए प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी है। साथ ही, लेह-कारगिल में इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। सुरक्षाबलों की अतिरिक्त कंपनियां तैनात कर दी गई हैं और संवेदनशील इलाकों में गश्त बढ़ा दी गई है।
लद्दाख पुलिस ने बयान जारी कर कहा कि हालात पर पूरी नजर रखी जा रही है और किसी भी तरह की अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। स्थानीय लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की गई है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
इस घटना पर राजनीतिक हलकों में भी तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि लद्दाख के लोगों की जायज मांगों को नज़रअंदाज कर सरकार ने आंदोलन को हिंसा की ओर धकेला। वहीं सत्ताधारी दल ने कहा है कि देश की अखंडता और सुरक्षा सर्वोपरि है और किसी भी स्थिति में कानून-व्यवस्था से समझौता नहीं किया जा सकता।
स्थानीय लोगों की चिंताएँ
लद्दाख के लोग लंबे समय से राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से यहां की जमीन, रोजगार और सांस्कृतिक पहचान पर खतरा बढ़ गया है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि छठी अनुसूची के अंतर्गत अधिकार मिलने पर वे अपनी परंपराओं और संसाधनों को सुरक्षित रख सकेंगे।
आगे की स्थिति
फिलहाल हालात तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बताए जा रहे हैं। प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे का आश्वासन दिया है। सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद आंदोलन और तेज होने की आशंका जताई जा रही है।
लद्दाख की जनता और नेतृत्व अब केंद्र सरकार से जल्द हस्तक्षेप और समाधान की उम्मीद कर रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि सरकार बातचीत का रास्ता अपनाती है या सुरक्षा बलों के सहारे आंदोलन को दबाने की कोशिश करती है।
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