पटना/दिल्ली, 1 अक्टूबर 2025 – नवरात्रि पर्व के नौवें दिन आज देशभर में भक्त माता दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की विधिवत पूजा-अर्चना कर रहे हैं। यह दिन विशेष रूप से सिद्धियों की दात्री माता को समर्पित है, जिनके आशीर्वाद से भक्तों को भौतिक, आध्यात्मिक और मानसिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सिद्धिदात्री माता के चार हाथों में चक्र, गदा, शंख और कमल विराजमान होते हैं और उनका वाहन सिंह है। शास्त्रों के अनुसार माता इस दिन भक्तों को आठ सिद्धियाँ और नौ निधियाँ प्रदान करती हैं। मंदिरों और घरों में विशेष पूजा, मंत्रोच्चार और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जा रहा है। भव्य मंदिरों में लोग कलश स्थापित कर माता के समक्ष विधिपूर्वक दीप, फूल और प्रसाद अर्पित कर रहे हैं।
भक्तजन आज दिनभर देवी की आराधना में लीन रहते हैं और 9 दिन के नौ रूपों की पूजा के समापन के रूप में उन्हें अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और मंगल की प्राप्ति की कामना करते हैं।
कल है दशमी – विजयादशमी
नवरात्रि के नौ दिन की पूजा-अर्चना के बाद कल दशमी के दिन मां दुर्गा का दशम स्वरूप, जिसे महिषासुरमर्दिनी कहा जाता है, विशेष रूप से पूजित होगा। यह दिन असत्य पर सत्य की विजय और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि माता दुर्गा ने इसी दिन महिषासुर का वध कर संसार से बुराई का नाश किया था।
देशभर के मंदिरों में कल सुबह से ही मां दुर्गा की पूर्ण रूप से पूजा का आयोजन किया जाएगा। दुर्गा प्रतिमा के सामने विशेष हवन और दुर्गा सप्तशती के पाठ के माध्यम से विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से शक्ति, विजय और मंगल की कामना की जाती है।
भक्तों का कहना है कि नवमी की सिद्धिदात्री पूजा और दशमी की विजयादशमी दोनों ही दिन मानसिक शांति, साहस और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। यही कारण है कि नवरात्रि का यह अंतिम चरण विशेष महत्व रखता है और लोग इसे बड़े उत्साह और श्रद्धा भाव से मनाते हैं।
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