Hedgewar was shaken by Hindutva his meeting with Savarkar in Ratnagiri Jail laid the foundation of the organization.
1 अक्टूबर 2025
देश जब अंग्रेजी हुकूमत के शिकंजे में था, तभी 1923 में एक पंफलेट छपता है — ‘Essentials of Hindutva’। इसे लिखा था क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर ने। यह सिर्फ एक वैचारिक दस्तावेज नहीं था, बल्कि भारत के सामाजिक इतिहास को बदल देने वाला संदेश बन गया।
इस पंफलेट ने खासा असर डाला एक युवा देशभक्त पर — केशव बलिराम हेडगेवार। उस समय 34 वर्षीय हेडगेवार तेलंगाना (वर्तमान क्षेत्र) में जन्मे थे और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थे। पंफलेट पढ़ने के बाद वे इतने प्रभावित हुए कि सीधे महाराष्ट्र की रत्नागिरी जेल पहुंच गए, जहां सावरकर को ब्रिटिश सरकार ने कैद कर रखा था।
सावरकर से लौटे हेडगेवार के भीतर एक बीज बोया जा चुका था — हिंदू समाज को संगठित करने का सपना। यही सपना दो साल बाद हकीकत में बदला।
1925: नागपुर में रखा RSS का आधार
27 सितंबर 1925, नागपुर में हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की नींव रखी — एक ऐसा संगठन जो आज 40 लाख सक्रिय स्वयंसेवकों और 190 से अधिक देशों में मौजूदगी के साथ दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक संगठनों में शुमार है।
RSS का मूल उद्देश्य था — हिंदू समाज को संगठित करना, आत्मरक्षा की भावना जगाना और राष्ट्र निर्माण में योगदान देना।
इस ऐतिहासिक अवसर के 100 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संघ और हेडगेवार के योगदान को याद करते हुए उनकी दूरदर्शिता और समर्पण को सराहा।
हेडगेवार: तिलक के अनुयायी, मुंजे के शिष्य
हेडगेवार पर स्वतंत्रता सेनानी और विचारक बाल गंगाधर तिलक का गहरा प्रभाव था। बाद में वह नागपुर के हिंदू महासभा नेता बी.एस. मुंजे के राजनीतिक शिष्य बने।
मुंजे ने उन्हें कलकत्ता भेजा — उद्देश्य था डॉक्टरी की पढ़ाई करना, लेकिन असल मकसद था बंगाल के क्रांतिकारी संगठनों से जुड़कर गुप्त क्रांतिकारी तकनीकें सीखना।
अनुशीलन समिति से जुड़े, क्रांति के लिए सीखा संगठन
कलकत्ता में हेडगेवार जुड़े ‘अनुशीलन समिति’ से — ब्रिटिश विरोधी क्रांतिकारियों का एक गुप्त संगठन। यहीं उन्होंने सीखा कैसे बिना शोर-शराबे के, अनुशासित ढंग से, बड़े संगठन खड़े किए जाते हैं।
हेडगेवार ने इन गुप्त प्रणालियों का बाद में उपयोग किया RSS के ढांचे में — शाखा प्रणाली, स्वयंसेवक अनुशासन, प्रतीकात्मक वेशभूषा और मौन कार्यशैली, सब उसी सोच की देन थी।
RSS: सिर्फ संगठन नहीं, विचार है
आरएसएस का विकास सिर्फ एक संगठन के रूप में नहीं हुआ, बल्कि एक वैचारिक धारा के रूप में हुआ, जिसने भारतीय राजनीति, समाज और संस्कृति में गहरी पैठ बनाई।
आज संघ शिक्षा वर्गों से लेकर सेवा भारती, वनवासी कल्याण आश्रम और भाजपा जैसे राजनीतिक विस्तारों तक इसकी उपस्थिति साफ देखी जा सकती है।
100 साल बाद भी गूंज रहा हेडगेवार का संकल्प:
“हिंदू समाज जब तक संगठित नहीं होगा, भारत स्वतंत्र नहीं हो सकता।”
Views: 54