समय के साथ न बदले तो कंपनियाँ होंगी खत्म – कोडक से लेकर नोकिया तक की कहानी

समय के साथ न बदले तो कंपनियाँ होंगी खत्म – कोडक से लेकर नोकिया तक की कहानी

रांची/नई दिल्ली – एक समय था जब कोडक कैमरे का मतलब ही फोटोग्राफी था। साल 1997 में कोडक के पास 1.6 लाख कर्मचारी थे और दुनिया की 85% तस्वीरें कोडक कैमरों से खिंची जाती थीं। लेकिन मोबाइल कैमरों के बढ़ते दौर में कोडक अपने बिज़नेस मॉडल को बदल नहीं पाया और कंपनी को दिवालिया घोषित करना पड़ा।

यही हाल भारत और दुनिया की कई अन्य दिग्गज कंपनियों का हुआ –

HMT घड़ी

बजाज स्कूटर

डायनोरा टीवी

मर्फी रेडियो

नोकिया मोबाइल

राजदूत बाइक

एंबेसडर कार

इनकी गुणवत्ता खराब नहीं थी, लेकिन ये कंपनियाँ समय की बदलती रफ्तार के साथ खुद को टेक्नोलॉजी और मार्केटिंग इनोवेशन में ढाल नहीं सकीं।

चौथी औद्योगिक क्रांति का दौर

आज हम चौथी औद्योगिक क्रांति में कदम रख चुके हैं। यह वह दौर है जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ऑटोमेशन, डिजिटल पेमेंट और स्मार्ट टेक्नोलॉजी पुरानी परिभाषाओं को तोड़ रहे हैं।

Uber – दुनिया की सबसे बड़ी टैक्सी कंपनी है, लेकिन उसके पास खुद की कोई कार नहीं।

Airbnb – सबसे बड़ी होटल चेन, लेकिन खुद का एक भी होटल नहीं।

Ola, Oyo, Paytm – इनोवेशन और टेक्नोलॉजी पर आधारित कंपनियाँ हैं जिन्होंने पारंपरिक बिज़नेस मॉडल को पूरी तरह बदल दिया है।

नौकरियों पर संकट

रिपोर्ट्स के अनुसार, आने वाले 10 वर्षों में 70%-90% नौकरियाँ खत्म हो सकती हैं।

अमेरिका में नए वकीलों की जगह IBM Watson जैसे कानूनी सॉफ्टवेयर ने ले ली है।

यही सॉफ्टवेयर कैंसर जैसी बीमारियों का निदान डॉक्टरों से कहीं अधिक सटीकता से कर पा रहा है।

2030 तक माना जा रहा है कि कंप्यूटर इंटेलिजेंस, मानव इंटेलिजेंस से आगे निकल जाएगी।

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में क्रांति

अगले 5-7 वर्षों में ड्राइवरलेस और इलेक्ट्रिक कारें सड़कों पर आम होंगी।

गैसोलीन की खपत घटेगी और तेल उत्पादक देश दिवालिया होने की कगार पर होंगे।

दुर्घटनाएँ 99% तक कम होंगी, बीमा कंपनियाँ बंद हो सकती हैं और ट्रैफ़िक पुलिस की ज़रूरत लगभग खत्म हो जाएगी।

बदलती दुनिया का सबक

कभी हर गली-मोहल्ले में STD बूथ हुआ करता था। फिर मोबाइल ने उसे बदल दिया। इसके बाद मोबाइल रिचार्ज दुकानों ने जगह ली, और आज ऑनलाइन रिचार्ज ने उन्हें भी पीछे छोड़ दिया। अब मोबाइल बिक्री भी Amazon और Flipkart जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट हो रही है।

कैश की जगह अब प्लास्टिक मनी (डेबिट-क्रेडिट कार्ड) और अब मोबाइल वॉलेट/UPI ले रहा है।

👉 निष्कर्ष यह है कि यदि कोई कंपनी, संस्थान या व्यक्ति समय के साथ खुद को अपडेट नहीं करेगा तो उसका अस्तित्व बचाना मुश्किल होगा।

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