नई दिल्ली: आज देश की सर्वोच्च अदालत, सुप्रीम कोर्ट में एक अभूतपूर्व और शर्मनाक घटना सामने आई, जब सुनवाई के दौरान किसी व्यक्ति ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर जूता फेंक दिया। इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।
राजनीतिक और सामाजिक हलकों में इसे भारत के लोकतांत्रिक व न्यायिक इतिहास पर धब्बा बताया जा रहा है। यह घटना उस समय हुई जब कोर्ट में कार्यवाही चल रही थी। सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत आरोपी को हिरासत में ले लिया।
कई नेताओं और सामाजिक संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा —
“जब देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर बैठे व्यक्ति को अदालत के भीतर ही अपमान का सामना करना पड़े, तो यह गंभीर चिंता का विषय है। यह सिर्फ मुख्य न्यायाधीश पर हमला नहीं बल्कि संविधान की आत्मा पर प्रहार है।”
उन्होंने आगे कहा कि,
“2014 के बाद जिस तरह से राजकीय संरक्षण में घृणा और हिंसा को सामान्य बनाया गया, यह उसी का परिणाम है। दलित समुदाय से आने वाले और संविधान की भावना का पालन करने वाले व्यक्ति भी यदि आज संवैधानिक पदों पर सुरक्षित नहीं हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।”
उन्होंने इस घटना को संविधान के शिल्पकार डॉ. भीमराव अंबेडकर का अपमान बताया और कहा कि धर्म की आड़ में समाज में जहर फैलाने वालों को संरक्षण दिया जा रहा है।
सवाल यह भी उठ रहा है कि संविधान व दलित विरोधी ताकतें और सत्ताधारी दल के नेता इस मुद्दे पर मौन क्यों हैं।
सामाजिक संगठनों ने कहा कि न्यायपालिका की गरिमा लोकतंत्र की रीढ़ है और इसे सुरक्षित रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
पुलिस व न्यायालय प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है। आरोपी के उद्देश्यों और पृष्ठभूमि की जांच जारी है।
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