रांची में 2 अक्टूबर 2025 को विजयादशमी के अवसर पर रावण दहन का आयोजन धूमधाम से हुआ। राजधानी के विभिन्न हिस्सों में आयोजित इस कार्यक्रम में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतलों का दहन किया गया, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
🏟️ प्रमुख आयोजन स्थल
- मोरहाबादी मैदान: यह रांची का प्रमुख स्थल रहा है, जहां 70 फीट ऊंचे रावण, 65 फीट के कुंभकर्ण और 60 फीट के मेघनाद के पुतले स्थापित किए गए थे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रिमोट कंट्रोल से रावण का दहन किया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, लेजर शो और आतिशबाजी का आयोजन भी किया गया।
- एचइसी शालीमार बाजार, धुर्वा: यहां 55 फीट के रावण और 50 फीट के कुंभकर्ण के पुतले जलाए गए। दहन से पूर्व झारखंडी कलाकारों द्वारा छऊ नृत्य प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मंत्री डॉ. इरफान अंसारी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने किया।
- अरगोड़ा: यहां 60 फीट के रावण, 55 फीट के कुंभकर्ण और 50 फीट के मेघनाद के पुतले जलाए गए। रावण की आंख से चिंगारी निकलने की विशेष व्यवस्था की गई थी। मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अन्य मंत्री उपस्थित रहे।
- मेसरा (हुजीर मैदान): यहां 45 फीट के रावण का दहन किया गया। स्थानीय लोगों ने इस आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
- टाटीसिलवे: यहां रॉकेट से रावण के पुतले का दहन किया गया, जिससे पुतले से खून की धारा बहने का दृश्य प्रस्तुत किया गया।
🌧️ मौसम की भूमिका
बारिश के बावजूद आयोजकों का उत्साह कम नहीं हुआ। मोरहाबादी मैदान में पुतले की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे, जिससे आयोजन में कोई विघ्न नहीं आया। अरगोड़ा में भी बारिश के बावजूद रावण दहन कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
रांची में रावण दहन की परंपरा 1948 से चली आ रही है, जब पाकिस्तान के बन्नू से आए शरणार्थियों ने पहली बार रावण का पुतला जलाया था। तब से लेकर अब तक यह आयोजन रांची की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बन चुका है।
इस वर्ष के रावण दहन ने न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट किया, बल्कि रांची की सांस्कृतिक विविधता और एकता को भी प्रदर्शित किया।
यदि आप रांची में रावण दहन के दृश्य देखना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए वीडियो को देखें:
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