नीतीश की अग्निपरीक्षा, तेजस्वी और नए गठबंधनों की चुनौती – CEC बोले सभी चुनावों की जननी

नीतीश की अग्निपरीक्षा, तेजस्वी और नए गठबंधनों की चुनौती – CEC बोले सभी चुनावों की जननी

पटना/नई दिल्ली:
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब समीकरणों और रणनीतियों का महासंग्राम बन गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस चुनाव को ‘सभी चुनावों की जननी’ बताया है। इस बार चुनाव केवल सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि नीतीश कुमार के राजनीतिक भविष्य, गठबंधन की ताकत, मुफ्त उपहारों का असर और प्रशांत किशोर की नई पार्टी की भूमिका तय करेगा।


नीतीश कुमार की अग्निपरीक्षा

दो दशकों से बिहार की राजनीति में राज करने वाले नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव उनके राजनीतिक करियर का आखिरी पड़ाव साबित हो सकता है। उन्हें महिलाओं और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के भरोसे को फिर से जीतना होगा।
हालांकि नीतीश कुमार हर राजनीतिक समीकरण का अहम हिस्सा रहे हैं, लेकिन इस बार उन्हें विधायकों के खिलाफ बढ़ती विरोधी लहर, मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप, तेजस्वी यादव और मजबूत कांग्रेस से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

“बिहार के इस चुनाव में सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, विकास और भरोसे की परीक्षा होगी।” – राजनीतिक विश्लेषक


‘किंगमेकर’ की भूमिका में चिराग और मुकेश सहनी

चिराग पासवान और मुकेश सहनी इस बार चुनावी समीकरणों में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

चिराग पासवान:
2020 में LJP (रामविलास) ने NDA से अलग होकर JDU के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इस बार LJP NDA के साथ है। NDA को चिराग के 5% पासवान वोट बैंक की उम्मीद है, जो नतीजों में निर्णायक साबित हो सकता है।

मुकेश सहनी:
विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के नेता मुकेश सहनी, जो 2020 में NDA का हिस्सा थे, अब INDIA गठबंधन के साथ हैं। सहनी के निषाद समुदाय का समर्थन मिथिलांचल, सीमांचल और चंपारण में गठबंधन के लिए अहम साबित हो सकता है।


चुनावी मुद्दे और रणनीति

इस चुनाव में मुख्य मुद्दे होंगे – सत्ता का अनुभव बनाम बदलाव की चाहत, भ्रष्टाचार, सामाजिक न्याय, विकास योजनाओं का असर, और गठबंधन की मजबूती।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बार के चुनाव में प्रशांत किशोर की रणनीति और नई पार्टी का प्रभाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, खासकर युवा और मध्यम वर्ग के मतदाताओं को लुभाने में।


मतदाता और रणनीति की जटिलता

बिहार में इस बार चुनाव दो चरणों में होंगे – 6 और 11 नवंबर, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी। चुनाव में गठबंधन की ताकत और व्यक्तिगत नेताओं का प्रभाव निर्णायक होगा।
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों के लिए चुनौती यह होगी कि वोट बैंक विभाजन और बदलती राजनीतिक वफादारियों के बीच वे कितने प्रभावशाली बने रहेंगे।


निष्कर्ष

बिहार 2025 का विधानसभा चुनाव सियासी इतिहास में मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह केवल सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, विकास, नेतृत्व और गठबंधनों की परीक्षा भी है।
राजनीतिक समीकरण, वोट बैंक और गठबंधन की रणनीति तय करेंगे कि बिहार की जनता नीतीश के अनुभव को चुनेगी या तेजस्वी और नए गठबंधनों की ओर झुकेगी।

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