नवरात्रि का आज सातवाँ दिन है, जिसे महा सप्तमी कहा जाता है। इस दिन माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि माँ कालरात्रि की उपासना करने से साधक के सभी भय दूर होते हैं और उसे अदम्य साहस, शक्ति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
सप्तमी की विशेषता
पूर्वी भारत में सप्तमी को नवपत्रिका पूजा का विशेष महत्व है। इसमें केले, हल्दी, अशोक, बेल, धान, अरुम, अड़हुल, दाड़िम और धान की 9 पत्तियों को पवित्र जल से स्नान कराकर माँ दुर्गा के रूप में स्थापित किया जाता है। वहीं उत्तर भारत में भक्त माँ कालरात्रि की मूर्ति या चित्र की विशेष पूजा करते हैं।
पूजा विधि-विधान
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर के पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- माँ कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाकर संकल्प लें।
- गंगाजल, दूध, दही, घी और शहद से अभिषेक करने के बाद लाल या काले वस्त्र अर्पित करें।
- लाल फूल, धूप-दीप और नैवेद्य (खीर, गुड़, शहद, नारियल आदि) माँ को चढ़ाएँ।
- भक्त “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः” मंत्र का जप करते हैं।
- दिनभर दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा और विशेष सप्तमी आरती का पाठ करने की परंपरा है।
धार्मिक मान्यता
पंडितों के अनुसार, सप्तमी तिथि पर माँ कालरात्रि की पूजा करने से रोग, दोष और संकट दूर होते हैं। यही नहीं, यह दिन साधक को नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है। परंपरा है कि सप्तमी पर हवन करना विशेष फलदायी होता है।
निष्कर्ष
नवरात्रि के सातवें दिन की पूजा-अर्चना के साथ श्रद्धालुओं में उत्साह का माहौल है। मंदिरों और घरों में भक्त माँ कालरात्रि का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं। माना जाता है कि इस दिन की उपासना से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
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