हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व माना गया है। आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाने वाली यह रात देवी लक्ष्मी की पूजा और चंद्रमा की उपासना के लिए अत्यंत शुभ होती है। कहा जाता है कि इस रात चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और अपनी अमृतमयी किरणों से धरती पर औषधीय तत्व बरसाता है। इसी कारण इस दिन खीर बनाकर चांदनी में रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को खुले आसमान के नीचे दूध और चावल से बनी खीर को रखने से उसमें चंद्रमा की किरणों के औषधीय गुण समाहित हो जाते हैं। ऐसी खीर को अगले दिन सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण करना अत्यंत शुभ और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। कहा जाता है कि इससे शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है, मानसिक शांति प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
इस दिन लोग उपवास रखते हैं, माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करते हैं और चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करते हैं। ऐसा करने से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
🌕 धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी:
वैज्ञानिकों का मानना है कि शरद पूर्णिमा की रात की ठंडी और शुद्ध चांदनी खीर के पोषक तत्वों को और भी प्रभावशाली बना देती है, जिससे यह शरीर को लाभ पहुंचाती है।
📌 टिप: इस शरद पूर्णिमा पर भी खीर अवश्य बनाएं, रातभर चांदनी में रखें और सुबह प्रसाद रूप में ग्रहण करें। यह न केवल परंपरा निभाने जैसा है, बल्कि स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का एक सुंदर माध्यम भी है।
Views: 102