पटना, 27 सितम्बर 2025 – शारदीय नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी को समर्पित रहा। सुबह से ही मंदिरों और दुर्गा पंडालों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। जगह-जगह “जय मां कात्यायनी” के जयघोष गूंजे और श्रद्धालुओं ने मां से साहस, वैभव और सुख-समृद्धि की कामना की।
मां कात्यायनी का महत्व
मां कात्यायनी सिंह पर सवार होकर प्रकट होती हैं और उनके हाथों में कमल और तलवार सुशोभित रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रकट हुई मां ने महिषासुर का वध कर धर्म की रक्षा की थी। इनकी उपासना से वैवाहिक जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और भक्तों को पराक्रम तथा सफलता की प्राप्ति होती है।
पूजा-विधि और अनुष्ठान
भक्तों ने प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र धारण किए, क्योंकि पीला रंग इस दिन का शुभ माना जाता है।
मां कात्यायनी को हल्दी, कुमकुम, पुष्प, शहद, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित किए गए।
विशेष रूप से महिलाओं और कन्याओं ने मां की आराधना की, मान्यता है कि इससे विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
कई स्थानों पर दुर्गा सप्तशती पाठ और षोडशोपचार पूजन संपन्न हुआ।
आज का शुभ मुहूर्त
पंडितों के अनुसार –
षष्ठी तिथि प्रारंभ: 26 सितम्बर, रात 10:12 बजे
षष्ठी तिथि समाप्त: 27 सितम्बर, रात 08:46 बजे
पुजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 06:15 से दोपहर 01:20 बजे तक विशेष फलदायी
संध्या आरती और अर्घ्यदान का समय: शाम 05:40 से 07:00 बजे तक
भक्तिमय वातावरण
पटना का महावीर मंदिर, रांची का पहाड़ी मंदिर, वाराणसी का दुर्गा कुंड और कोलकाता के भव्य पंडालों में दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी रहीं। जगह-जगह देवी गीतों और भजनों की गूंज ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
मां का संदेश
आचार्यों का कहना है कि मां कात्यायनी की पूजा से मनुष्य में साहस और न्यायप्रियता का भाव जागृत होता है। वे सिखाती हैं कि धर्मयुक्त शक्ति से हर विपत्ति पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
कल सप्तमी पर मां दुर्गा के उग्र स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा होगी, जिनकी आराधना से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और साधक को अदम्य बल प्राप्त होता है।
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