पांडवों’ का ‘कर्ण’ बनेगा मुकेश सहनी? महागठबंधन से नाराज VIP नेता NDA के करीब

पांडवों’ का ‘कर्ण’ बनेगा मुकेश सहनी? महागठबंधन से नाराज VIP नेता NDA के करीब

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक सियासत में बड़ा ड्रामा देखने को मिल सकता है। VIP के मुखिया और निषाद समाज के बड़े नेता मुकेश सहनी, जो खुद को बिहार की सियासत में ‘कर्ण’ कहते हैं, अब महागठबंधन से नाराज होकर NDA की ओर रुख कर सकते हैं। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि सहनी जल्द ही महागठबंधन से अलग हो सकते हैं।

नाराजगी के तीन बड़े कारण

सूत्रों के मुताबिक, मुकेश सहनी महागठबंधन से तीन मुख्य वजहों से नाराज हैं:

  1. सीट शेयरिंग पर असहमति:
    VIP को महागठबंधन से केवल 15 सीटें दी गई हैं, जबकि सहनी कम से कम 40 सीटों का दावा कर रहे हैं। महागठबंधन के इस ऑफर से VIP के नेता काफी खफा हैं।
  2. पसंदीदा सीटों पर विवाद:
    मुजफ्फरपुर, पटना साहिब, साहेबगंज, नरकटियागंज जैसी कई महत्वपूर्ण सीटों पर VIP के दावे हैं, लेकिन ये सीटें फिलहाल कांग्रेस और राजद के कब्जे में हैं। कांग्रेस और राजद इन सीटों को छोड़ने को तैयार नहीं हैं, जिससे सीटों को लेकर तनाव बना हुआ है।
  3. उप मुख्यमंत्री पद की मांग:
    VIP नेता उप मुख्यमंत्री पद की मांग कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस की ओर से दो उप मुख्यमंत्री (एक दलित और एक मुस्लिम) बनाने का दावा उनके लिए बड़ी बाधा बन गया है। इस बात से भी सहनी नाराज हैं।

VIP ने महागठबंधन की बैठक से दूरी बनाई

जुलाई के अंतिम सप्ताह में महागठबंधन समन्वय समिति की बैठक में VIP के नेता मुकेश सहनी शामिल नहीं हुए थे। इसके बाद उन्होंने दिल्ली जाकर बीजेपी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की थी। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह मुलाकात सहनी की बीजेपी के साथ दोस्ती की राह मजबूत कर सकती है।

पलटी मार चुका है सहनी का रुख

2020 के विधानसभा चुनाव में भी सहनी ने महागठबंधन छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। उस चुनाव में बीजेपी ने VIP को 11 सीटें दी थीं, जिनमें से चार पर VIP के विधायक जीते थे। लेकिन 2025 के चुनाव में सहनी फिर से तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राजद के करीब आ गए थे। अब स्थिति यह है कि सहनी की नाराजगी के कारण वे एक बार फिर बीजेपी के साथ राजनीतिक गठबंधन कर सकते हैं।

राजनीतिक परिदृश्य पर क्या पड़ेगा असर?

अगर मुकेश सहनी महागठबंधन छोड़कर NDA का साथ देते हैं, तो बिहार की 40 से अधिक सीटों पर इसका बड़ा असर पड़ेगा। खासकर उन सीटों पर जहां चुनाव का नतीजा बेहद करीबी रहा है। ऐसे में नए समीकरण बन सकते हैं जो बिहार की सियासत में तहलका मचा सकते हैं।

Views: 63

SHARE
   
TOTAL VISITOR: 5074224