AIMIM का नारा – 4 का बदला 40 से , क्या तेजस्वी यादव की राजनीति पर पड़ेगा असर

AIMIM का नारा – 4 का बदला 40 से , क्या तेजस्वी यादव की राजनीति पर पड़ेगा असर

बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के समर्थकों ने हाल ही में नारा लगाया – “4 का बदला 40 से लेंगे”। इस नारे ने सीधे-सीधे राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है और माना जा रहा है कि इसका निशाना राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और तेजस्वी यादव हैं।

पृष्ठभूमि

2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने सीमांचल की मुस्लिम बहुल सीटों पर जोरदार प्रदर्शन किया था। पार्टी ने कुल 20 उम्मीदवार मैदान में उतारे, जिनमें से 16 सीटें सीमांचल की थीं। परिणामस्वरूप AIMIM को 5 सीटों पर जीत मिली थी। इन पांचों सीटों पर AIMIM ने कांग्रेस और राजद जैसे बड़े दलों को मात दी थी।

लेकिन चुनाव के बाद राजनीतिक समीकरण बदल गए। AIMIM के जीते हुए 5 में से 4 विधायक RJD में शामिल हो गए। इस कदम को AIMIM ने धोखा माना और अब उसी से नाराज होकर “4 का बदला 40 से” का नारा गूंज रहा है।

AIMIM की रणनीति

सूत्रों के अनुसार, इस बार AIMIM सीमांचल समेत बिहार की लगभग 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। इन सीटों पर मुस्लिम वोटों की संख्या निर्णायक मानी जाती है। AIMIM का मकसद सीधे-सीधे RJD को चुनौती देना है। पार्टी की रणनीति यह है कि वह मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा अपनी ओर खींचकर RJD को नुकसान पहुंचाए।

INDIA गठबंधन से दूरी

AIMIM प्रमुख ओवैसी की नाराजगी की एक बड़ी वजह यह भी है कि उन्हें INDIA गठबंधन में शामिल नहीं किया गया। ओवैसी बार-बार इस बात को उठाते रहे हैं कि मुस्लिम समाज की बड़ी आबादी के बावजूद उनकी पार्टी को हाशिए पर रखा गया। अब वे इसी नाराजगी को राजनीतिक हथियार बनाकर 40 सीटों पर डैमेज करने की तैयारी में हैं।

RJD और तेजस्वी यादव पर असर

तेजस्वी यादव की पार्टी का मुख्य वोट बैंक पिछड़े वर्ग और मुस्लिम मतदाता रहे हैं। अगर AIMIM सीमांचल और अन्य मुस्लिम बहुल इलाकों में बड़ा दाव खेलता है तो सीधा असर RJD पर पड़ सकता है। पिछली बार AIMIM ने पांच सीटों में से चार कांग्रेस और राजद से छीनी थीं, इस बार AIMIM उसी पैटर्न को और बड़े स्तर पर दोहराना चाहती है।

निष्कर्ष

AIMIM का नारा “4 का बदला 40 से” सिर्फ एक चुनावी घोषणा नहीं, बल्कि एक सियासी संदेश है। यह साफ है कि ओवैसी की रणनीति अब RJD को सीधे चुनौती देने की है। आने वाले विधानसभा चुनाव में AIMIM और RJD की टक्कर सीमांचल से लेकर पूरे बिहार की राजनीति की दिशा तय कर सकती है।

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